आयुर्वेद के अनुसार दूध पिने के कुछ नियम
दूध आयुर्वेद में बहुत ही महत्वपूर्ण और कीमती भोजन है। यह हमारे शरीर और दिमाग को जरुरी पोषण प्रदान करता है। यह ठंडा, वात और पित्त दोष को बैलेंस करने का काम करता है। आयुर्वेद के अनुसार गाय का दूध सबसे ज्यादा पौष्टिक होता है। दूध भूख को शांत करता है और मोटापे से भी छुटकारा दिलाने में मददगार है। गाय का दूध शिशुओं के लिये अच्छा है पर अगर आपको नींद नहीं आती तो आपके लिये भैंस का दूध अच्छा रहेगा।
कई लोगों को दूध पीने के बाद हजम नहीं हो पाता। उन्हें पेट फूलने या फिर बार खराब होने की समस्या से जूझना पड़ता है। पहले ज़माने के मुकाबले आज कल दूध की क्वालिटी में गिरावट आने की वजह से ऐसा होता है। यदि आपका पाचन तंत्र मजबूत नहीं है तो भी आपको दूध ठीक से हजम नहीं हो पाएगा। आयुर्वेद के अनुसार दूध पीने के कुछ नियम हैं, जिन्हें पालन करने से आपको दूध अच्छी तरह हज़म हो जाएगा।
दूध पिने के कुछ नियम
- रात में बिना शक्कर के दूध पियें अगर हो सके तो उसमें गाय का घी १- २ चम्मच डाल कर लें।
- ताजा, जैविक और बिना हार्मोन की मिलावट वाला दूध सबसे अच्छा होता है। पैकेट में मिलने वाला दूध नहीं पीना चाहिये।
- दूधक को गरम या उबाल कर पियें। अगर दूध पीने में भारी लगे तो उसे उसमें थोड़ा पानी मिला कर उबालें।
- दूध में एक चुटकी अदरक, लौंग, इलायची, केसर, दालचीनी और जायफल आदि की मिलाएं। इससे आपके पेट में अतिरिक्त गर्मी बढ़गी जिसकी मदद से दूध हजम होने में आसानी मिलेगी।
- प्रयत्न करे की देशी गाय का दूध ले।
- अगर आप को डिनर करने का मन नहीं है तो आप रात को एक चुटकी जायफल और केसर डाल कर दूध पियें। इससे नींद भी अच्छी आती है।
- किसी भी नमकीन चीज़ के साथ दूध का सेवन ना करें। क्रीम सूप या फिर चीज़ को नमक के साथ ना खाएं। दूध के साथ खट्टे फल भी नहीं खाने चाहिये।
- दूध और मछली एक एक साथ सेवन नहीं करना चाहिये, इससे त्वचा खराब हो जाती है।