हिन्दू और जैन पंचांग के अनुसार, जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर श्री महावीर स्वामी के जन्म-दिवस के अवसर पर महावीर जयंती मनाई जाती है। उन्होंने अहिंसा परमोधर्म के सिद्धांत और लोक कल्याण का मार्ग अपना कर विश्व को शांति का सन्देश दिया।
भगवान श्री महावीर स्वामी का जन्म ईसा से 599 वर्ष पूर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में त्रयोदशी तिथि को वैशाली स्थित के गांव कुंडग्राम बिहार में लिच्छिवी वंश राजपरिवार के महाराज श्री सिद्धार्थ और माता त्रिशिला रानी देवी के यहां हुआ था। बचपन में भगवान महावीर स्वामी का नाम वर्द्धमान था। महावीर जी की ध्यान मुद्रा के चित्र अथवा मूर्ति के नीचे, प्रायः उनका प्रतीक चिन्ह शेर अवश्य होता है।
महारानी त्रिशला का एक-एक क्षण बमुश्किल से बीत रहा था। वे बेसब्री से शिशु-जन्म की प्रतीक्षा कर रही थीं। उनकी देखभाल के लिए देवराज इंद्र ने देव कन्याओं को नियुक्त कर रखा था अत: उन्हें किसी प्रकार की शारीरिक पीड़ा नहीं होती थी।
जैन मान्यता के अनुसार तीर्थंकर के जन्म के समय उनकी माता को किसी प्रकार की पीड़ा नहीं होती थी और न ही उनके शरीर का रूपांतरण होता था।
अंतत: वह घड़ी आ गई। चैत्र शुक्ल त्रयोदशी तद्नुसार सोमवार 27 मार्च, 599 वर्ष ई.पू. के दिन भगवान महावीर ने जन्म लिया। उनके जन्म के साथ ही तीनों लोकों में आनंद छा गया। देवलोक स्वयं वाद्य बजाकर मंगल ध्वनि करने लगे।
इंद्र का सिंहासन डोलने लगा। वे समझ गए कि 24वें तीर्थंकर महावीर ने जन्म ले लिया है। वे अपनी पत्नी शचि के साथ महावीर का जन्मकल्याणक मनाने आए। क्षीरसागर के अमृत जल से महावीर का जलाभिषेक किया गया। कुंडलपुर में दो सप्ताह तक उत्सव और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन कर महावीर का जन्मोत्सव मनाया गया।
तदंतर ज्योतिषियों ने उनकी जन्म कुंडली बनाई और घोषित किया कि यह बालक या तो चक्रवर्ती राजा बनेगा या जगतगुरु।
जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के 2617 वां जन्म कल्याणक के पांच दिवसीय महोत्सव का शुभारम्भ रविवार को वर्द्धमान स्वामी जिनालय जूना केराडू मार्ग प्रांगण में साधु-साध्वी भगवन्तों के सामूहिक प्रवचन के साथ हुआ । प्रवचन में देवर्षिरत्न ने कहा कि हमें संस्कारित बनने को लेकर हमारे क्रियाक्लापों पर ध्यान देना चाहिये। हमें नैरोगेज, मीटरगेज की बजाय ब्रॉडगेज रेललाईन की तरह बनने की कोशिश करनी चाहिये जिससे हम शालिभद्र जैसे जीव बन सके । उन्होंने कहा कि भगवान का जन्म जीवों के कल्याण का कारक होता है ।
साध्वी विनीतयशा व साध्वी विश्वरत्नाश्री ने कहा कि भगवान महावीर के जन्म कल्याणक को मनाना तब ही सार्थक है जब हम हमारे आचरण में भगवान महावीर की वाणी को जीवन में उतारेंगें। प्रवचन कार्यक्रम का संचालन मुकेश बोहरा अमन ने किया । प्रवचन में रतनलाल बोहरा, रिखबदास मालू, पारसमल बोहरा, ट्रस्ट मण्डल अध्यक्ष प्रकाशचन्द सेठिया, मांगीलाल संखलेचा, किशनलाल वड़ेरा, बाबुलाल वड़ेरा, सम्पतराज श्रीश्रीमाल, मगराज संखलेचा, शंकरलाल वड़ेरा, रणजीतमल मालू, मेवाराम मालू, गौतमचन्द भंसाली, गौतमचन्द छाजेड़, जोगेन्द्र वड़ेरा, दिनेश भंसाली, सुरेश श्रीश्रीमाल, गौतम वड़ेरा, मदनलाल जैन, रमेश मालू, राहुल बोहरा आदि मौजूद रहे।
भगवान महावीर की चल प्रतिमा की स्थापना, निकला विशाल वरघोड़ा
महोत्सव के प्रथम दिन रविवार को जैन न्याति नोहरे में भगवान महावीर स्वामी की प्रतिमा की स्थापना की गई। इससे पूर्व श्री वद्र्धमान स्वामी जिनालय जूना केराडू मार्ग से चतुर्विघ संघ के साथ भगवान का ढ़ोल-ढ़माकों के साथ वरघोड़ा निकाला गया जो कि शहर के मुख्य मार्गों से होते हुए जैन न्याति नोहरे पहुंचा। महोत्सव समिति के संयोजक एड़वोकेट सम्पतराज बोथरा ने बताया कि सोमवार को 8.30 बजे राजकीय चिकित्सालय में फ ल वितरण, 3.00 बजे साधना भवन में सामूहिक सामायिक होगा ।
अहिंसा मेराथन का आयोजनसमिति के सह-संयोजक एड़वोकेट मुकेश जैन ने बताया कि सुबह श्री जैन फ्र ेण्डस गु्रप की ओर से अहिंसा मेराथन का का आयोजन महावीर सर्किल से हुआ । जहां अहिंसा मेराथन एवं महावीर रथ को स्थानीय जिनालय के कोषाध्यक्ष मांगीलाल संखलेचा एवं भूरचन्द बोहरा ने हरी झण्ड़ी दिखाकर रवाना किया । मेराथन के माध्यम से युवाओं ने अहिंसा, विश्व-शान्ति एवं सद्भाव का सन्देश दिया । जैन न्याति नोहरे में अहिंसा मेराथन में प्रथम अशोक, द्वितीय नरेनद्र एवं तृतीय जितेन्द्र श्रीश्रीमाल को पुरस्कार प्रदान सम्मानित किया । इस दौरान मौके पर गौरव बोहरा, जोगेन्द्र वड़ेरा, राकेश बोथरा, दिनेश भंसाली, संजय श्रीश्रीमाल, सोहन श्रीश्रीमाल, मोहित लूणिया, पवन संखलेचा उपस्थित रहे ।
बेबी किट वितरण कार्यक्रम
समिति के सह-संयोजक गौतम बोथरा ने बताया कि महोत्सव के क्रम में महावीर इन्टरनेशनल की ओर राजकीय चिकित्सालय बाड़मेर में गौतमचंद डूंगरवाल की अध्यक्षता में 40 नवजात बच्चों को बेबी किट का वितरण किया गया । इस दौरान सचिव बाबुलाल संखलेचा, मांगीलाल गोठी, दिनेश बोहरा उपस्थित रहे ।
विश्व-शान्ति स्नात्र एवं शान्ति कलश का हुआ आयोजन
महोत्सव समिति की ओर से जैन न्याति नोहरे में विश्व शान्ति, अहिंसा एवं सद्भाव को लेकर श्री विश्व शान्ति मंच, बाड़मेर के संयोजन में स्नात्र पूजा एवं विश्व शान्ति कलश का आयोजन किया गया । पूजारी मेहुल महाराज के निर्देशन में विश्व-शान्ति को लेकर शान्ति स्नात्र पूजा सम्पन्न हुई ।