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भगवान परशुराम मंदिर Bhagwan Parshuram Mandir

Trimbak Maharashtra

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त्रंबकेश्वर के परशुराम मंदिर में भगवान के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है। मंदिर में चतुर्भुजी बाल परशुराम का विग्रह, सफेद आभा के साथ सुशोभित हो रहा है। त्र्यंबक, महाराष्ट्र का यह परशुराम मंदिर भक्ति भारत का प्रथम भगवान परशुराम को समर्पित मंदिर है।
विश्व में अक्षय तृतीया त्यौहार परशुराम जन्मोत्सव के रूप मनाया जाता है। इस दिन मंदिर में कीर्तन का आयोजन किया जाता है। मंदिर का यह वार्षिक उत्सव बैशाख प्रतिपदा से प्रारंभ होकर अष्टमी तक हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। विद्वानों द्वारा अक्षय तृतीयाको त्रेता युग का आरंभ भी माना जाता है।
मंदिर का वर्तमान स्वरूप लगभग सन् 1850 के आस-पास निर्मित हुआ माना जाता है। कालांतर में परशुराम जी ने पास ही में स्थित नील पर्वत पर तपस्या की थी, जहाँ आज अन्नपूर्णा माता का मंदिर स्थित है।
जनवरी माह के दौरान मंदिर में ऋग्वेद का पाठ किया जाता है, तथा 10 हजार मंत्रों के साथ हवन द्वारा इसका समापन किया जाता है।
भगवान परशुराम के बारे में:
भगवान परशुराम का जन्म त्रेता युग में हुआ, उनके माता-पिता देवी रेणुका एवं भृगुश्रेष्ठ महर्षि जमदग्नि है, इन्हें भगवान विष्णु का छठा अवतार भी माना जाता है। कल्कि पुराण के अनुसार परशुराम, भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्कि के गुरु होंगे और उन्हें युद्ध की शिक्षा देंगे।
भगवान परशुराम को नियोग भूमिहार ब्राह्मण, चितपावन ब्राह्मण, त्यागी, मोहयाल, अनाविल और नंबूदिरी ब्राह्मण समुदाय मूल पुरुष या स्थापक के रूप में पूजते हैं। 

अधर्मियों का नाश करने वाले भगवान परशुराम के ग्वालियर में तीन स्थानों पर मंदिर हैं। सबसे प्राचीन मंदिर नई सड़क स्थित आपटे की पायगा में है। जहां नियमित रूप से भगवान परशुराम की पूजा-अर्चना की जाती है। इसके अलावा उपनगर ग्वालियर स्थित किलागेट व मुरार स्थित घासमंडी में भी है।

लगभग सौ वर्ष पुराना भगवान परशुराम का मंदिर नई सड़क स्थित आपटे की पायगा में स्थित है। इस मंदिर की देखरेख भागवत परिवार द्वारा की जाती है। शरद भागवत तीसरी पीढ़ी के हैं, जो निरंतर यहां प्रतिदिन भगवान की पूजा-अर्चना कर रहे हैं।

इस मंदिर में भगवान परशुराम के उनके दोनों भाई काल और काम दोनों तरफ हैं। वहीं पास में ही माता रेणुका व गणेश जी की मूर्ति भी है। यह प्राचीन मंदिर दक्षिण भारत के मंदिरों जैसा बना है।

यहां विराजित यह मूर्तियां महाराष्ट्र से लाईं गई थी। प्रतिदिन पूजा-अर्चना के अलावा हर गुरुवार व ग्यारस को भजन-कीर्तन का आयोजन भी किया जाता है।

उपनगर ग्वालियर में स्थित घासमंडी मुरार में भगवान परशुराम का मंदिर लगभग 10 वर्ष पूर्व बनाया गया है। इसमें भगवान परशुराम के साथ हनुमानजी, शंकरजी की भी प्रतिमा स्थापित है। उपनगर स्थित किलागेट पर श्री मंदिर रामजानकी ट्रस्ट का है।

140 वर्ष पूर्व इस मंदिर में 5 वर्ष पहले भगवान परशुराम की प्रतिमा स्थापित की थी। तब से आज तक समय-समय पर भगवान परशुराम की पूजा-अर्चना की जा रही है।

समय - Timings

दर्शन समय

7:00 AM - 9:00 PM

 



भगवान परशुराम मंदिर Bhagwan Parshuram Mandir Photos


BHAGBAN PARSURAM TEMPLE