बगलामुखी अष्टमी, बगलामुखी माता के अवतार दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। जिन्हें माता पीताम्बरा या ब्रह्मास्त्र विद्या भी कहा जाता है। उसके पास पीले रंग के कपड़े के साथ माथे पर सुनहरे रंग का चंद्रमा है। माँ की पूजा दुश्मन को हराने, प्रतियोगिताओं और अदालत के मामलों को जीतने के लिए जानी जाती हैं।
माँ बगलामुखी मंत्र स्वाधिष्ठान चक्र की कुंडलिनी जागृति के लिए उपयोग करते हैं। भक्त इस दिन अन्न का दान करते हैं, तथा माँ मंगल से संबंधित समस्याओं की समाधान देवी हैं।
भगवान शिव द्वारा प्रकट की गई दस महाविद्याओं में प्रमुख आठवीं महाविद्या माँ 'बगलामुखी' का प्राकट्य पर्व वैशाख शुक्ल अष्टमी 01 मई, शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन मध्य रात्रि व्यापनी नवमी के संधिकाल में माँ की आराधना का फल अमोघ रहेगा। जो लोग अनेकों समस्याओं, कष्टों एवं संघर्षों से लड़कर हताश हों चुके हों, या जिनके जीवन में निराशा ने डेरा डाल रखा है तो उन्हें माँ घोर साधना करनी चाहिए। ऐसे साधकों को सफलता देने के लिए माँ बगलामुखी प्रतिक्षण तत्पर रहती हैं। ये अपने भक्तों के अशुभ समय का निवारण कर जीवन की सभी खुशियां देकर नई चेतना का संचार करती है। इनमें संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश हैं अतः इनसे परे कुछ भी नहीं।
देवी बगलामुखी जयंती पर अनुष्ठान से होगा शत्रुओं का नाश व मिलेगी कर्ज व प्रॉपर्टी संबंधित परेशानियों से मुक्ति :- 1 मई 2020
आदिकाल से ही इनकी साधना शत्रुनाश, वाकसिद्धि, कोर्ट-कचहरी के मामलों में विजय, मारण, मोहन, स्तम्भन और उच्चाटन जैसे कार्यों के लिए की जाती रही है। इनकी कृपा से साधक का जीवन हर प्रकार की बाधाओं से मुक्त हो जाता है। माँ रत्न जड़ित सिंहासन पर विराजती हैं और रत्नमय रथ पर आरूढ़ हो शत्रुओं का नाश करती हैं। इनकी सर्वाधिक आराधना रानीतिज्ञ चुनाव जीतने और अपने शत्रुओं को परास्त करने में ससंकल्प अनुष्टान रूप में करवाकर अपनी संकल्प सिद्धि करते हैं ।
इनके प्रकट होने की कथा है कि एक बार पूर्वकाल में महाविनाशक तूफान से सृष्टि नष्ट होने लगी। चारों ओर हाहाकार मच गया। प्राणियों की रक्षा करना असंभव हो गया। यह महाविनाशक तूफान सब कुछ नष्ट करता हुआ आगे बढ़ता जा रहा था, जिसे देखकर पालनकर्ता विष्णु चिंतित हो शिव को स्मरण करने लगे। शिव ने कहा कि शक्ति के अतिरिक्त अन्य कोई इस विनाश को रोक नहीं सकता अतः आप शक्ति का ध्यान करें। विष्णु जी ने 'महात्रिपुरसुंदरी' को ध्यान द्वारा प्रसन्न किया, देवी विष्णु जी की साधना से प्रसन्न होकर सौराष्ट्र क्षेत्र की हरिद्रा झील में जलक्रीडा करती हुई प्रकट हुई और अपनी शक्ति के द्वारा उस महाविनाशक तूफ़ान को स्तंभित कर विष्णु जी को इच्छित वर दिया तब सृष्टि का विनाश रुका।
माँ बगलामुखी का 36 अक्षरों वाला यह मंत्र 'ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्वां कीलय कीलय बुद्धिं नाशय ह्लीं ॐ स्वाहा'।
शत्रुओं का सर्वनाश कर अपने साधक को विजयश्री दिलाकर चिंता मुक्त कर देता है। मंत्र का जप करते समय पवित्रता का विशेष ध्यान रखें, मंत्र पीले वस्त्र पीले आसन और हल्दी की माला का ही प्रयोग करें। जप करने से पहले बगलामुखी कवच का पाठ अवश्य करें।